राजभाषा विभाग Department of Official Language गृह मंत्रालय, भारत सरकार |
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प्रसिद्ध लघु कहानियाँ |
मणीराम
नामक
ब्राह्मण के
घर जिस समय
पुत्र ने जन्म
लिया,
उसी समय उसे
एक नेवले का
बच्चा भी कहीं
से मिल गया ।
उस नेवले के
बच्चे को वह
भाग्यशाली
समझ कर घर ले
आया । वे
दोनों बच्चे
एक साथ पलने
लगे । एक
दिन ब्राह्मण
की पत्नी भोली
नदी में स्नान
करने जाते समय
बच्चे की
देखभाल करने
के लिए अपने
पति को सावधान
कर गई । पत्नी
के जाते ही
ब्राह्मण को
राजा के दरबार
में जाने का निमंत्रण
मिल गया । अब
उस बेचारे मणीराम
के सामने बहुत
बडी समस्या
उत्पन्न हुई।
यदि वह बच्चे
को अकेला
छोड़ता है तो
मुसीबत और यदि
राजा का
निमंत्रण
स्वीकार नहीं
करता तो फांसी
। इसलिए
उसने यही
निर्णय किया
कि वह अपने
लड़के की
रक्षा के लिए
इस नेवले को
ही छोड़ जाए
क्योंकि अपने
जीवन की रक्षा
करना भी तो
जरुरी है ।
यही सोचकर वह
राजा के दरबार
की ओर चला गया
। ब्राह्मण
जैसे ही उठ कर गया, एक
सांप कहीं से
आ कर बच्चे की
ओर जाने लगा ।
नेवले ने उस सांप
को देखते ही
क्रोध में आकर
उसके टुकड़े-टुकड़े
कर दिए । नेवले
ने तो सांप को मार
डाला था किंतु
उसका सारा
शरीर खून से
लथपथ हो गया
था । उधर
ब्राह्मण भी
राज दरबार से
दानपात्र
लेकर आ गया था
। उसने जैसे
ही नेवले को
खून से लथेड़ा
देखा, उसे
समझने में देर
न लगी की
नेवले ने उसके
बच्चे को मार
डाला है । बस
क्रोध में भरे
ब्राह्मण ने
लठ उठा कर
नेवले को मार
दिया । वह
बेचारा मर कर
वहीं ढेर हो
गया । नेवले
को मारकर जैसे
ही ब्राह्मण
अंदर गया तो उसने
देखा कि उसका
बेटा तो गहरी
नींद सो रहा
है, हां, उसकी
चारपाई के पास
सांप के
टुकड़े पड़े
हैं । मणीराम
सारी बात को
समझ गया । उसे
यह भी पता चल
गया था कि
उसने निर्दोष
और वफादार
नेवले की
हत्या करके
बहुत बड़ा पाप
किया है ।
किंतु अब तो
कुछ नहीं हो
सकता था । वह
बार-बार यही
सोच रहा था, कि काश मैं
पहले विचार कर
लेता, तो
यह पाप तो न
होता । इस
कहानी से यह
शिक्षा मिलती है
कि कोई भी काम
करने से पूर्व
हमें उस पर सोच-विचार
करना चाहिए । *************** (स्वर : श्री सतेंद्र दहिया ) |
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